Monday 21 November 2011

शिव स्वरुप सार


भगवान् श्री शिव इस संसार के प्रथम योग गुरु हैं एवं माता पारवती उनकी प्रथम शिष्य जिसने उनसे योग सीखा! भगवान् शिव पूर्णतया अपने भक्तो के वश में हैं जैसा के मै पहले उदहारण में कह चुकी हूँ! शिव की उपासना अत्यंत सरल है वे मात्र जल बेल पत्र को भी स्वीकार कर लेते हैं. शिव में कुछ मानवीय गुण भी द्रष्टिगोचर होते हैं जैसे के तुरंत भावबिहल हो जाना! भक्तो को एक नन्हे बालक सामान प्रेम देते समय यह विचार न करना के अमुक वस्तु अथवा वर का वह क्या उपयोग करेगा! श्री शिव इन सब विषयों का चिंतन किये बिना भक्तो के स्नेह की पावन गंगा में स्वयं को विस्मित कर देते हैं! उनके शीश पर चन्द्र है जिनसे समस्त जगत को औषधियां प्राप्त होती हैं अतः शिव औषधि विभाग के भी स्वामित्व रखते हैं. अतः लम्बसे समय से बीमारी ग्रसित व्यक्तियों को भी शिव उपासना में मन रमाना अत्यंत लाभकर है! ऐसा देखा गया है की भगवान् शिव के शिवलिंग से गिरने वाले जल के उपयोग से बिमारियों का शमन होता है! भगवान् शिव की उपासना का प्रावधान जातक की जन्म दशाओं के दोष निवारण में भी किया जाता है! शिव सदैव से प्रेम परिपूर्ण परम पुरुष हैं वे नारी के सम्मान के प्रति अत्यंत संवेदन शील हैं! ऐसा कई साहित्यों में उपलब्ध है के उन्होंने माता के सम्मान के लिए यथोचित समय अपने पर्तव्य का दृढ़ता से पालन किया है! इनके पुत्र, कार्तिकेय जी एक गणेश हैं! गणेश स्वयं प्रत्येक कार्य का शुभारम्भ का शुभ हैं एवं शुभ और लाभ नामक दो पुत्रों के गौरव शाली पिता हैं! अर्थात इनका स्वरुप सर्व प्रकार से स्नेह एवेम दया और शुभम है! रिद्धि सिद्धि के पति हैं अतः इनका स्वरुप सर्वथा भव्य है! कार्तिकेय जी बल का प्रतीक हैं वे देवताओं के सेनापति हैं एवं सर्वगुण संपन्न है! मयूर इनका वाहन है और यह शत्रु दमन को सदैव तत्पर हैं!
          भगवान् श्री शिव की पुत्रियाँ हैं स्वयं माता लक्ष्मी एवं परम दयालु ज्ञान की देवी माता सरस्वती जी! कहते हैं दोनों एक दुसरे के आभाव में अपूर्ण हैं अर्थात यदि मनुष्य पर धन और ज्ञान नहीं तोह भी व्यर्थ और मात्र ज्ञान से भ मनुष्य का जीवन विशेषकर इस कलिकाल में असंभव है! अतः इससे यह सुस्पष्ट है के सम्पूर्ण शिव परिवार ही गृहस्थी जीवन के इष्ट रूप में विराजित हैं! इन्ही से मनुष्य को भौतिक जीवन में (जो की इस संसार का आज के समय आवश्यकता है) उन्नति संभव है! अतः जो मनुष्य गृहस्थी में रमे हैं और इसी प्रकार जीना चाहते हैं उनके लिए शिव उपासना अत्यन उपयोगी है! "ॐ नमः शिवाय"   इनका मंत्र है! "बम बम "इनका बीज मंत्र है! महामृत्युंजय मंत्र भी शिव से सम्बंधित है, यह महान मंत्र एकाग्रिता को बढ़ने वाला व समस्त बिमारियों का नाशक है! इस प्रकार समस्त तथ्य हमें शिव के महान स्वरुप में मनुष्य के भले की भावना वोह भी निश्छल स्नेह संग मिलती है!

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