श्री कृष्ण, परम ब्रह्म परमात्मा हैं एवं यह सदैव ही अपने भक्तो क लिए चिंतित रहते हैं! श्री कृष्ण अपने भक्तो को मांगने पर भी सर्वस्व देने की शक्ति रखते हैं किन्तु फिर भी जगत क पालन हारा संसार को दुःख दायक या भक्त के हित के विपरीत वर भी नहीं देते हैं! शिव संसार का समूल नाश करने की शक्ति रखते हैं और स्वयं भगवान् श्री कृष्ण द्वारा पूजित एवं सर्वत्र परम भगवान् के रूप में पुकारे गए हैं! किन्तु शिव भावना के अधीन हैं वे भक्त के स्नेह में आकर कई बार इस प्रकार का भी वर दे देते हैं जो उपयुक्त नहीं होता है उसके लिए, इसके विपरीत कृष्ण प्रत्येक अवस्था में भक्त को वर सोच समझकर ही देते हैं!इस विषय में बाणासुर को शिव द्वारा दिए एक वर का प्रसंग अत है जिसमे उसको एक हज़ार बाँहों का श्री शिव ने वर दिया जिसके परिणामस्वरूप कुछ समयोपरांत उसको असुविधा हुई व स्वयं शिव से ही उसका निवारण की प्रार्थना करना लगा! तब शिव ने उसको एक नए वर से शांत किया! जिसके अनुसार कोई शीघ्र ही उसके इस भार को हल्का कर देगा!
जिसकी परिणति कुछ समय क बाद तब हुयी जब उसको पुत्री ने निंद्रा में अनिरुद्ध जो की कृष्ण के पूरा हैं उनका वरन कर लिया! उषा द्वारा वर्णित होने पर अनिरुद्ध को उसकी सखी एवं राज्य के मंत्री की पुत्री द्वारा रात्रि में उसका अपहरण कर लिया गया! किन्तु दोनों अर्थात उषा एवं अनिरुद्ध में प्रेम के अंकुर परस्पर जागृत हुए व वे एक हो गए! जब बाणासुर को इसका भान हुआ उसने इसका विरोध किया इस पारकर यदुओं और बाणासुर संग्राम हुआ, जिसमे स्वयं शिव बाणासुर के प्रेम में आकर युद्ध में उतरे व हार गए!
शेष............
जिसकी परिणति कुछ समय क बाद तब हुयी जब उसको पुत्री ने निंद्रा में अनिरुद्ध जो की कृष्ण के पूरा हैं उनका वरन कर लिया! उषा द्वारा वर्णित होने पर अनिरुद्ध को उसकी सखी एवं राज्य के मंत्री की पुत्री द्वारा रात्रि में उसका अपहरण कर लिया गया! किन्तु दोनों अर्थात उषा एवं अनिरुद्ध में प्रेम के अंकुर परस्पर जागृत हुए व वे एक हो गए! जब बाणासुर को इसका भान हुआ उसने इसका विरोध किया इस पारकर यदुओं और बाणासुर संग्राम हुआ, जिसमे स्वयं शिव बाणासुर के प्रेम में आकर युद्ध में उतरे व हार गए!
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