तेरी राह रोशन है जो दिल में बसा है नूर रब का
तेरा हुनर रोशन जो नज़र दे मौला
वोह इश्क ही क्या जिसे मुक्कमल नहीं करता रब
वर्ना जिस दिल में बसे रब वहां इश्क बसता
तेरी रहनुमाई क सदके मेरी जान भी कुर्बान
तेरे दर पर मेरा दिल सजता
यह एक गुल है मेरे अरमानो की कबर का
याह रब , मेरे लिए इससे अब कुबूल फरमा
यह जान जिस्म सब तेरा अब इसमें अपना
हुनर आजमा.........आमीन
तेरा हुनर रोशन जो नज़र दे मौला
वोह इश्क ही क्या जिसे मुक्कमल नहीं करता रब
वर्ना जिस दिल में बसे रब वहां इश्क बसता
तेरी रहनुमाई क सदके मेरी जान भी कुर्बान
तेरे दर पर मेरा दिल सजता
यह एक गुल है मेरे अरमानो की कबर का
याह रब , मेरे लिए इससे अब कुबूल फरमा
यह जान जिस्म सब तेरा अब इसमें अपना
हुनर आजमा.........आमीन
No comments:
Post a Comment