Friday 18 November 2011


तेरी राह रोशन है जो दिल में बसा है नूर रब का

तेरा हुनर रोशन जो नज़र दे मौला


वोह इश्क ही क्या जिसे मुक्कमल नहीं करता रब


वर्ना जिस दिल में बसे रब वहां इश्क बसता


तेरी रहनुमाई क सदके मेरी जान भी कुर्बान


तेरे दर पर मेरा दिल सजता


यह एक गुल है मेरे अरमानो की कबर का


याह रब , मेरे लिए इससे अब कुबूल फरमा


यह जान जिस्म सब तेरा अब इसमें अपना


हुनर आजमा.........आमीन

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